| روزگاریست از محیطِ بقا | همچو موج اوفتادهایم جدا | |
| یعنی از درسِ معنیِ اطلاق | حرفِ تقیید کردهایم انشا | |
| در تماشاگهِ قِدَم بودیم | فارغ از عرضِ چند و چون و چرا | |
| جوش زد ناگهان محیطِ وجود | موجِ تمییزِ عِلم شد پیدا | |
| موج چون بر کنارِ بحر رسید | کرد ظاهرْ مظاهرِ اسما | |
| اسم صورتپذیرشی گردید | گشت حادث، حقیقتِ اشیا | |
| آسمانها پدید شد زان موج | چون حباب از تلاطمِ دریا | |
| دورِ افلاک شد کثافتریز | تا عناصر پدید شد زینها | |
| نور و ظلمت مقابلِ هم شد | داد آرایشِ صباح و مَسا | |
| گشت اضداد، ظاهر از اعداد | ضدِّ نار، آب و، ضدِّ خاک، هوا | |
| از عناصر، جماد صورت بست | شوق ننشست ساعتی از پا | |
| پس طبیعت در اهتزاز آمد | از جمادی نبات یافت نما | |
| باز حیوان شد و ازو انسان | شد مسمّی به آدم و حوّا | |
| کرد پیدا ز نوعِ انسانی | کافر و گبر و مؤمن و ترسا | |
| وحدتِ صِرف، جوشِ کثرت زد | خامشی شد بدل به رنگِ صدا | |
| جلوه بر جلوه رنگ و بو جوشید | حسن، بیپرده شد ز جیبِ خفا | |
| ممکن آمد برون ز سازِ وجوب | از چه؟ از نغمهی تأمّلِ ما | |
| جز ز حادث، قدیم رخ ننمود | کرد از بس خِرَد معاینهها | |
| عقل هرگز نداشت آگاهی | کز چه محبوسِ لفظ شد معنا | |
| چون به دریایِ حیرت افتادیم | باطنِ ما ز عشق یافت ندا: | |
| که جهان نیست جز تجلّیِ دوست | ||
| این من و ما، همان اضافَتِ اوست | ||